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Guru Jupiter गुरु बृहस्पति की हो महादशा तो मिलता भ्रमांड का आकस्मिक धन ,"जाने पूजा विधि और उपाय"

Updated: Jun 28


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देव गुरु Guru Jupiter वृस्पति हिंदी में ग्रह जुपिटर (बृहस्पति) को संकेत करता है, जो हिंदू पौराणिक धर्म में महत्वपूर्ण देवता माना जाता है। ग्रह जुपिटर वृहस्पति के रूप में भी जाना जाता है। वृहस्पति देवता ज्ञान, विद्या, बुद्धि और धर्म का प्रतीक माना जाता है। उन्हें ब्रह्मचारी, आचार्य, गुरु, ब्राह्मण, यज्ञ पुरुष और ब्रह्मा के वाहन के रूप में वर्णित किया जाता है। वृहस्पति देवता की आराधना और उनकी कृपा से विद्यार्थी, ज्ञानी, और धार्मिक लोगों को धन, समृद्धि, सफलता और शांति प्राप्त होती है। वृहस्पति पूजा, व्रत, और मंत्र जाप का आयोजन किया जाता है ताकि उनकी कृपा मिले और जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति हो।


देव गुरु वृस्पति की कुंडली को मजबूत करने के लिए आप निम्नलिखित उपायों का अनुसरण कर सकते हैं:

  1. गुरु मंत्र जप: दिन में नियमित रूप से गुरु मंत्र "ॐ ब्रिं बृहस्पतये नमः" का जाप करें। यह मंत्र गुरु के आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायक होता है।

  2. गुरु पूजा: गुरुवार को गुरु पूजा करें। इसके लिए गुरु की मूर्ति, पिताम्बर, या फोटो के सामने धूप, दीप, फूल, और प्रसाद चढ़ाएं। मन्त्र जप और आरती के साथ गुरु का पूजन करें।

  3. गुरु यंत्र: गुरु यंत्र को अपने मंदिर या पूजा स्थान में स्थापित करें और नियमित रूप से पूजा करें। गुरु यंत्र को ध्यान में रखने से आपकी कुंडली को मजबूती मिलेगी।

  4. व्रत और उपवास: गुरुवार को नियमित रूप से गुरु व्रत रखें और गुरुवार के दिन आप उपवास करें। यह गुरु की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायक होगा।

  5. दान: गुरु की कृपा प्राप्त करने के लिए गुरुवार को दान करें। आप गुरुवार को


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कमजोर वृस्पति देव (गुरु) के कुछ लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. अशक्ति: कमजोर वृस्पति देव अपने दिव्य शक्तियों में कमी दिखा सकते हैं। वे अपनी शक्तियों को स्वामित्व में नहीं रख पाते हैं और इसलिए उनकी प्रभावशालीता पर प्रतिबंध आ सकता है।

  2. भावुकता की कमी: कमजोर वृस्पति देव भावुकता और सहानुभूति में कमी दिखा सकते हैं। वे अपने शिष्यों के साथ संवाद करते समय उनकी भावनाओं और जरूरतों को समझने में असमर्थ हो सकते हैं।

  3. अव्यवस्थितता: कमजोर वृस्पति देव अपने शिष्यों के लिए नियमित और संगठित गाइडेंस प्रदान करने में कमी दिखा सकते हैं। वे अपने संदेशों को स्पष्ट रूप से साझा नहीं कर पाते हैं और इसलिए शिष्यों को उचित दिशा-निर्देश नहीं दे सकते हैं।

  4. विश्वासहीनता: कमजोर वृस्पति देव अपने शिष्यों की प्रतिष्ठा और विश्वास को खो सकते हैं। वे अपने शिष्यों के विश्वास को समझने और उसे बनाए रखने में असमर्थ हो सकते हैं, जिससे शिष्यों के मन में संदेह उत्पन्न हो सकता है।

  5. कार्यशीलता की कमी: कमजोर वृस्पति देव शिष्यों के लिए आवश्यक कार्यों और उपायों की कमी दिखा सकते हैं। वे शिष्यों के लक्ष्यों की प्राप्ति और सफलता के लिए उचित दिशा-निर्देश प्रदान नहीं कर पाते हैं।


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कुंडली में बृस्पति देव की महादशा बृस्पति (गुरु) की महादशा कुंडली में एक विशेष समयावधि होती है जब बृस्पति की शक्ति और प्रभाव अधिक होते हैं। महादशा की अवधि लगभग 16 वर्ष होती है। इस महादशा के दौरान व्यक्ति को निम्नलिखित प्रभाव महसूस हो सकते हैं:

  1. धर्मिक और ज्ञान क्षेत्र में प्रगति: गुरु की महादशा में व्यक्ति आध्यात्मिक और ज्ञान क्षेत्र में प्रगति कर सकता है। उन्हें विद्या और धर्म से संबंधित गहरी रुचि होती है और वे शिक्षा, धर्म, योग, ज्योतिष आदि में माहिर हो सकते हैं।

  2. आर्थिक संपन्नता: गुरु की महादशा में आर्थिक संपन्नता में सुधार हो सकता है। व्यक्ति को बड़े धन के अवसर मिल सकते हैं, व्यापार में सफलता हासिल कर सकते हैं और आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं।

  3. आपातकालीन सहायता: गुरु की महादशा में व्यक्ति को आपातकालीन समय में सहायता मिल सकती है। वे संकटों और मुसीबतों को संभालने की क्षमता रखते हैं और अच्छे समर्थन का लाभ उठा सकते हैं।

  4. सामाजिक स्थान में उच्चता: गुरु की महादशा में व्यक्ति को सामाजिक स्थान में उच्चता प्राप्त हो सकती है। उन्हें सम्मान, प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा मिल सकती है और वे सामाजिक संपर्कों में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।


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