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Hanuman ji : इन उपाए को करते ही प्रसन्न हो जाते है राम भक्त हनुमान,कर देते हर मनोकामना पुरी!


हनुमान जी, हिंदी में भी ज्ञात हैं और हिंदू धर्म में आदर्श देवता के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं। वे भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं और हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण देवता माने जाते हैं।

यहां कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं और चरित्रवालियाँ हैं जो हनुमान जी से जुड़ी हैं:

  1. भक्ति और भक्ति: हनुमान जी को राम भक्ति के लिए प्रसिद्ध किया जाता है। उनकी अटूट भक्ति और विश्वासयोग्यता के कारण, वे भगवान राम के सबसे प्रिय भक्त माने जाते हैं।

  2. महाबली और सामरिक कौशल: हनुमान जी को अपूर्व शारीरिक और मानसिक बल के लिए जाना जाता है। उन्होंने सूर्य पुत्र हनुमान के रूप में महाबलीता और पराक्रम का प्रदर्शन किया।

  3. वीरता और सेवा: हनुमान जी को वीरता का प्रतीक माना जाता है। उन्होंने अपने वीरता के माध्यम से भगवान राम की सेवा की और उनकी आज्ञाओं को पूरा किया।

  4. ग्यान और ब्रह्मचारी: हनुमान जी को विद्या, ज्ञान, और ब्रह्मचर्य के प्रतीक के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। उन्होंने सूर्य और अग्नि के पुत्र के रूप में अनन्य ज्ञान प्राप्त किया।

  5. चिरंजीवितता: हनुमान जी को अमरता और चिरंजीवितता का वरदान प्राप्त हुआ है। इसलिए, उन्हें सनातन धर्म के अनुसार आज भी पूजा जाता है और उन्हें बल, वीरता और सुख का प्रदानकर्ता माना जाता है।

हनुमान जी की कथाएं, उनकी पूजा, और उनसे जुड़े मंत्र और भजनों की मान्यताएं हिन्दू धर्म में व्यापक रूप से प्रचलित हैं। उन्हें अनुसरण करने के माध्यम से भक्ति, शक्ति, और संयम की प्राप्ति की जाती है।



हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए कुछ प्रमुख उपाय हैं जिन्हें आप अपनाएं सकते हैं:

  • हनुमान चालीसा का पाठ: हनुमान चालीसा का नियमित रूप से पाठ करना आपको हनुमान जी के प्रति भक्ति और समर्पण का अनुभव कराता है। आप इसे दैनिक आराधना का हिस्सा बना सकते हैं।

  • वानर बाण मंत्र का जाप: “ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा” यह मंत्र हनुमान जी की प्रार्थना और आराधना का एक प्रमुख मंत्र है। आप इस मंत्र का नियमित जाप कर सकते हैं।

  • हनुमान आरती का गान: हनुमान आरती का गान करने से हनुमान जी को प्रसन्नता मिलती है। इसे नियमित रूप से संगीत या आराधना सत्र में गायें।

  • हनुमान जयंती व्रत: हनुमान जयंती को पूरे उत्साह और भक्ति के साथ मनाना हनुमान जी को प्रसन्न करने का अच्छा उपाय है। इस दिन, आप हनुमान जी की पूजा, अर्चना और व्रत कर सकते हैं।

  • हनुमान जी की मूर्ति या प्रतिमा की सेवा: हनुमान जी की मूर्ति या प्रतिमा की सेवा करना उन्हें प्रसन्न करने का अच्छा तरीका है। आप उनकी प्रतिमा को फूल, अर्चना सामग्री, और प्रसाद के साथ सजा सकते हैं।

याद रखें, हनुमान जी की प्रार्थना, भक्ति, और समर्पण के साथ किए गए उपाय ही आपको उनकी प्रसन्नता में वृद्धि करेंगे।



Shree Hanuman Chalisa

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मनु मुकुर सुधारि।

बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेस विकार॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥

रामदूत अतुलित बल धामा। अञ्जनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन विराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ वज्र औ ध्वजा बिराजे। काँधे मूंज जनेऊ साजे॥

शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा॥

भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरत-हियँ सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥

सनकादिक ब्रह्मादिस मुनीशा। नारद सारद सहित अहीशा॥

जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबी कोबिद कहि सके कहां ते॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना॥

युग सहस्त्र योजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥

दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥

सब सुख लहैं तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डर ना॥

आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक ते कांपै॥

भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महावीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा॥

साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावैं। जनम जनम के दुख बिसरावैं॥

अंतकाल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्व सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरैं हनुमत बलबीरा॥

जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥

जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

दोहा: पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

आपको हनुमान चालीसा पढ़ने का अवसर मिला। हनुमान जी आपकी सदैव कृपा करें।

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