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Kamika Ekadashi 2023: जाने कामिका एकादशी की कहानी एवं पूजा विधि जो बदल देगी किस्मत।

कामिका एकादशी

कामिका एकादशी की कहानी (Kamika Ekadashi Story)

एकादशी व्रत हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण धार्मिक व्रत है, जिसे पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। यह व्रत प्रति मास में दो बार मनाया जाता है - एक पुरुषों के लिए और एक महिलाओं के लिए। कामिका एकादशी, श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है, जिसे भगवान विष्णु के उपासना के लिए विशेष महत्व दिया जाता है।

कामिका एकादशी की कहानी निम्नलिखित है:

बहुत समय पहले, राजा मंदाता नामक एक राजा थे। वह बहुत धार्मिक और सदाचारी राजा थे और अपने राज्य की प्रगति के लिए प्रार्थना करते थे। एक दिन राजा मंदाता को अपने सपने में एक दिव्य स्वरूप दिखाई दिया, जिसने उन्हें एकादशी व्रत के बारे में बताया। उस स्वरूप ने राजा को विष्णु भगवान की उपासना और कामिका एकादशी व्रत करने की विधि बताई।

राजा मंदाता ने स्वप्न देखकर व्रत करने का संकल्प लिया और इसे अपने राज्य में लोगों को भी समझाया। सभी लोग भगवान विष्णु की उपासना करके कामिका एकादशी व्रत का पालन करने लगे।

इस व्रत के माध्यम से लोग अपने पापों का क्षय कर और भगवान विष्णु की कृपा को प्राप्त कर सकते हैं। राजा मंदाता और उनके प्रजा भगवान विष्णु की अनुग्रह के लिए कामिका एकादशी व्रत को समर्पित हो गए और उन्हें अपने राज्य में सुख और शांति प्राप्त हुई।

इस प्रकार, कामिका एकादशी व्रत भगवान विष्णु की उपासना में निष्ठा और श्रद्धा रखने का महत्व दर्शाता है और भक्तों को सुख और समृद्धि प्रदान करता है।

यह है कामिका एकादशी की कहानी। इसे सुनकर लोग व्रत का पालन करते हैं और अपने मन और आत्मा को शुद्ध करके भगवान की कृपा को प्राप्त


कामिका एकादशी की पूजा विधि हिंदी में निम्नलिखित रूप से की जा सकती है:

  1. पूजा सामग्री:

  • देवी की मूर्ति या चित्र

  • पूजा सामग्री जैसे कि दीपक, धूप, अगरबत्ती, अखंड दिया, नैवेद्य (प्रसाद), साफ कपड़े, कलश, रोली, अचार, सुपारी, घी, शक्कर, गंध, पुष्प, जल आदि

  • पूजन के लिए तुलसी की माला या रुद्राक्षी माला

  1. पूजा की विधि:

  • पूजा स्थल को साफ करें और धूप दीप जलाएं।

  • पूजा स्थल पर विराजमान देवी के सामने एक कपड़ा सजाएं।

  • पूजा सामग्री को तैयार करें: कलश में पानी डालें, उसमें नारियल रखें और उसके ऊपर रोली और अचार लगाएं।

  • मूर्ति या चित्र के सामने बैठें और मन्त्रों के साथ देवी का पूजन करें। आप दुर्गा सप्तशती के मन्त्रों का जाप कर सकते हैं या देवी की आरती गा सकते हैं।

  • नैवेद्य को प्रसाद के रूप में चढ़ाएं। इसके लिए देवी को फूल, अखंड दिया, घी, शक्कर, सुपारी और नीवर या पानी की कुछ बूंदें चढ़ाएं।

  • आप अपनी इच्छा के अनुसार व्रत रख सकते हैं, जैसे कि भोजन में ग्रहण करना या निर्जला व्रत रखना।

  • पूजा के बाद, देवी की आरती करें और उनके समक्ष प्रणाम करें।

  • आप पूजा के दौरान देवी के गुणों, महत्व और आराध्यता के बारे में पठन सकते हैं। आपकी भक्ति और निष्ठा के साथ पूजा करने से आपको आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।

यदि आपके पास किसी विशेष देवी के प्रति आराधना की प्राथमिकता है, तो उस देवी के लिए अपनी पूजा विधि बनाएं और उसी के अनुसार उपायों का पालन करें।

यह एक साधारण पूजा विधि है, और आप इसे अपनी सामर्थ्य और आदतों के अनुसार अनुकूलित कर सकते हैं। इसे ईश्वर के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा के साथ करें।

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